बसकर प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल के बच्चों ने उठाया वनभोज का आनन्द 

निरज साहू …सूरजपुर…

बच्चों के वनभोज में शामिल हुए शिक्षक, शिक्षिकाए एवं जनप्रतिनिधि।

सुरजपुर। विकासखंड अंतर्गत ग्राम  बसकर में संचालित प्राथमिक व मिडिल स्कूल के छात्र छात्राओं को शिक्षक,जनप्रतिनिधि ने जंगल का सैर कराकर वनभोज भी कराया।जहां बच्चे काफी खुश थे।स्कूली बच्चों ने वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण की शपथ ली।

 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के छात्र छात्राओं सहित पूरे स्टाफ को संयुक्त रूप से ग्राम बसकर के समीप घघिया पिकनिक स्पॉट का भ्रमण कराया।जहां स्कूली बच्चों को जंगल की सैर कराई गई। जंगल की यात्रा स्कूल से शुरू होकर घघिया तक हुई। रास्ते में बच्चों ने पेड़, पौधे, वनस्पतियां, फूल, पत्तियों, विभिन्न प्रजाति की चिड़ियां और जीव जंतुओं के दीदार किए। भोजन बनते तक छात्र छात्राओं ने वन संरक्षण पर आधारित कविता पाठ एवं गीतों की प्रस्तुतियां दीं। पर्यावरण आधारित खेल प्राथमिक और माध्यमिक बच्चो के साथ शाला प्रबंधन समिति के बीच विशेष आकर्षण रहा।

शिक्षक शिवम गोस्वामी ने बताया कि वनभोज के साथ स्कूली बच्चों में वन एवं वन्य जीवों के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से वनभोज का आयोजन किया गया। विद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं के आयोजन के साथ ही स्कूली बच्चों को जंगल की सैर भी कराई गई। स्कूली बच्चों ने वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण की शपथ भी ली।

 जंगल देखने आई छात्रा सविता बताती हैं कि उन्होंने वन एवं वन्य प्राणियों को पहली बार इतने नजदीक से देखा। छात्रा कोमल ने बताया कि उसने जंगल में आकर शुद्ध वायु एवं शुद्ध जल का अनुभव किया। छात्र पंकज ने बताया कि उसने केवल पुस्तक में पढ़ा था या फिर टेलीविजन में जंगल के बारे में देखा था। प्राकृतिक चीजों को बहुत नजदीक से देखकर बहुत अच्छा लगा।

इस दौरान शिक्षक श्रीकांत द्विवेदी, कैलाश साहू,नरेंद्र साहू,कमला कुशवाहा,काली प्रसाद सहित विद्यालय परिवार के वंसधारी यादव,रामेश्वर सिंह,अवधराम सहित एसएमडीसी के सदस्यगण व काफी संख्या में छात्र छात्राएं शामिल रहे।

जनपद सदस्य व सरपंच भी वनभोज में शामिल हुए

जनपद सदस्य सुनील साहू और ग्राम पंचायत बसकर की सरपंच ललिता सिंह भी घघिया पहुंचकर स्कूली बच्चों के साथ वन भ्रमण सहित वनभोज में शामिल होकर भोजन किया।श्री साहू ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम का उद्देश्य जंगल व नदी किनारे संचालित स्कूलों के बच्चे व शिक्षकों को जंगली जानवर व नदियों के प्रति जागरूक करना है। ताकि गांवों में होने वाले मानव- वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर नियंत्रण के साथ जीवन में जंगल के महत्ता को समझ सके।

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